उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के खिलाफ इंडिया गठबंधन को और मजबूत बनाने की पहल तेज हो गई है. इसका संकेत कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने दी है.
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की यह खास रिपोर्ट.
नई दिल्ली/हैदराबाद,18 फरवरी,2024. उत्तर प्रदेश में बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस हर कोशिश कर रही है. पहले उसने सपा व बसपा को भी इंडिया गठबंधन में लाने का प्रयास किया. लेकिन जब यह कोशिश असफल होते दिखी, उसके बाद भी बीएसपी को लाने के लिए कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन अब बीएसपी के मना कर देने के बाद कांग्रेस ने नई पहल शुरू कर दी है . उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्याय यात्रा चल रही है. इस बीच पार्टी ने राज्य में इंडिया गठबंधन को मजबूत करने की नई पहल शुरू कर दी है. इसके संकेत यूपी कांग्रेस के नए प्रभारी अविनाश पांडे ने दिए हैं . उन्होंने रविवार को बताया कि यूपी में इंडिया गठबंधन को मजबूत बनाने की कोशिश हो रही है. इसके लिए हम कुछ छोटे दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं .
बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्ष बनाने की कोशिश
अविनाश पांडे ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि हम चाहते हैं भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव में एक मजबूत विपक्ष तैयार किया जाए. हालांकि इस दौरान यूपी प्रभारी ने किसी भी दल का नाम नहीं लिया. इसके बाद असमंजस की स्थिति और बढ़ गई. दरअसल, राज्य में तमाम छोटे दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में पहले से मौजूद है . इससे पहले बीते विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने ऐसी ही पहल की थी. तब पार्टी ने गठबंधन में 6 दलों को भाजपा के खिलाफ एक साथ रखा था. लेकिन पार्टी की बड़ी हार हुई. तब इस चुनाव में सपा के साथ प्रसपा, सुभासपा, महान दल, आरएलडी और अपना दल कमेरावादी शामिल थे. लेकिन अब एक बार फिर से कांग्रेस ने गठबंधन में छोटे दलों को जोड़ने की पहल तेज कर दी है.
अखिलेश का यह दांव भाजपा पर पड़ेगा भारी+ दरअसल, उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवार मैदान में है. भाजपा और सपा में 7 का 2 का समीकरण फिट है. लेकिन 10 वीं सीट दोनों ही दलों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है. प्रदेश में 10 राज्य सभा सीटों के लिए उम्मीदवार मैदान में है . इनमें भाजपा के 8 और समाजवादी पार्टी के 3 प्रत्याशी हैं . लेकिन अपने विधायकों को सहेजे रखना राजनीतिक दलों के लिए कठिन साबित हो रहा है . विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा अपने 7 प्रत्याशियों को जबकि सपा 2 प्रत्याशियों को जिता सकती है. लेकिन 1 सीट पर जीत दर्ज करना भाजपा और सपा दोनों को परेशानी खड़ी करने वाली है.