कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस बार पुरानी पेंशन स्कीम का जिक्र नहीं किया गया है. इस वादे के भरोसे कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीता था. ऐसे में इसका जिक्र न होना अहम है और इसकी चर्चा हो रही है.
हैदराबाद से राजनीतिक संपादक, देहाती विश्वनाथ की यह खास रिपोर्ट.
नई दिल्ली/हैदराबाद,5 अप्रैल, 2024. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया. इस मेनिफेस्टो में कांग्रेस का जोर न्याय पर है. इस थीम के तहत उसने पांच न्याय और 25 गारंटियों का जिक्र किया गया है. पार्टी ने महिलाओं,युवाओं, गरीबों और श्रमिकों के लिए कई लुभावने वादे किए हैं . लेकिन कांग्रेस के मेनिफेस्टो से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम देने का वादा गायब है. इसकी वजह यह है कि इस योजना को लागू करना आसान नहीं है और कांग्रेस ऐसा वादा करने से बचना चाहती है. बता दें कि हिमाचल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने पुरानी पेंशन स्कीम का ऐलान किया था . सबसे ज्यादा चर्चा पुरानी पेंशन स्कीम के वादे को वापस लेने की हो रही है. खासतौर पर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के लिए भी ओपीएस को क्रेडिट दिया गया था. इस जीत से उत्साहित कांग्रेस ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी लागू किया था . हिमाचल में तो कैबिनेट की पहली ही मीटिंग में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का फैसला हुआ था. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ईवीएम यह चुनाव न करने का ऐलान भी नहीं किया है. हालांकि उसने यह जरूर कहा है कि चुनाव ईवीएम से ही होंगे, लेकिन मतदाताओं को अधिकार होगा कि वह वोटर स्लिप पा सकें. इसके तहत उन्हें पता लगेगा कि उन्होंने जिस वोट दिया था,उसे ही मिला है या नहीं. पार्टी का मानना है कि ऐसा वादा करना उसके लिए बैकफायर कर सकता है, जिसमें कहा जाए कि अब ईवीएम से चुनाव नहीं कराएंगे . ऐसा वादा करने पर भाजपा उसे पर मिथ्या प्रचार का आरोप लगा सकती है. इसके अलावा भाजपा की ओर से यह भी कहा जा सकता है कि हार करीब देखकर कांग्रेस अब ईवीएम पर ही सवाल उठा रही है . बता दें कि 2018 में कांग्रेस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया गया था कि अब हमें वैलेट पेपर से ही चुनाव करने चाहिए . दुनिया के कई बड़े लोकतंत्रों में आज भी उससे ही चुनाव होते हैं.