हमारे पास केवल आधार कार्ड है

वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर बिहार के गांव में परेशान है लोग. बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी है. लेकिन इस बीच वोटर लिस्ट के वेरीफिकेशन का मामला भी लोगों के लिए मुश्किल बन रहा है.

नई दिल्ली / पटना/ हैदराबाद, 4 जुलाई, 2025. बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच लोग वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं. चुनाव आयोग की फैसले के बाद बिहार के तमाम गांवों में लोग यही कहते हैं कि उनके पास आधार कार्ड है और चुनाव आयोग के द्वारा मांगे जा रहे कागजात उन्हें कहां से मिलेंगे ? वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर परेशानी झेल रहे लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से लेकर राजद के के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के वैशाली और तेजस्वी यादव के राघोपुर तक दिखाई देते हैं. तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से ही विधायक हैं. विपक्ष चुनाव आयोग की इस फैसले के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा है. उसका कहना है कि यह समाज पिछड़े, दलित, वंचित और कमजोर लोगों को उनके वोट डालने के अधिकार से वंचित करने की साजिश है.

चुनाव आयोग ने मांगा नागरिकता का प्रूफ
चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक, वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन का काम 25 जुलाई तक पूरा होना है . मानसून के बीच ही 77 हजार से ज्यादा बूथ लेवल ऑफिसर्स ( बीएलओ ) को अन्य सरकारी कर्मचारियों और पॉलीटिकल पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बिहार में 7.8 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड मतदाताओं के रिकॉर्ड की जांच करनी है. एक मुश्किल यह है कि चुनाव आयोग ने सभी नए और मौजूदा मतदाताओं से नागरिकता का प्रूफ मांगा है. बिहार के गांवों में लोग निवास और जाति प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं. जिला मजिस्ट्रेट ने इन सर्टिफिकेट को जल्दी-जल्दी जारी करने के निर्देश दिए हैं. कई लोग इस बारे में नहीं जानते हैं या अभी तक किसी ( बीएलओ ) ने उनसे संपर्क नहीं किया है.

मेघन माझी की परेशानी
ऐसे लोगों में 37 वर्षीय मजदूर मेघन माझी भी है. वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा के रहने वाले हैं. उनके पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मनरेगा जब का कार्ड है लेकिन अब उन्हें वोट डालने के लिए कुछ और चीजों की भी जरूरत होगी. चुनाव आयोग ने नागरिकता साबित करने के लिए 11 में से किसी एक डॉक्यूमेंट को दिखाने के लिए कहा है लेकिन अनुसूचित जाति से आने वाले माझी के पास जो तीन डॉक्यूमेंट हैं, उनसे वोट नहीं डाल सकते. माझी जैसे बिहार के वे लोग जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए चुनाव आयोग के द्वारा कह गए 11 डॉक्यूमेंट्स में से किसी एक को प्रस्तुत करना होगा. मांझी कहते हैं कि बीएलओ ने उनसे कहा कि अगर वह 25 जुलाई से पहले निवासी या जाति प्रमाण पत्र बनवा लें तो उनका मतदाता नामांकन फॉर्म भरा जा सकता है.

जल्दी बनवा लें जाति या निवास प्रमाण पत्र
कल्याण बिगहा गांव में बहुत सारे वोटर बीएलओ पिंकी कुमारी के आसपास इकट्ठा है. वह ग्रामीणों को फॉर्म भरने, डॉक्यूमेंट इकट्ठा करने में उनकी मदद कर रही है . इस दौरान उनके पास बिहार से बाहर गए और वोटर लिस्ट में रजिस्टर्ड लोगों के फोन भी आते हैं और वह उनके सवालों के जवाब देती हैं. पिंकी कहती हैं कि 2003 की मतदाता सूची में जो लोग नहीं थे उनके पास कोई ऐसा डॉक्यूमेंट नहीं है जिससे वे वोट डाल सके, इसीलिए वह लोगों से जल्दी से जल्दी अपना जाति या निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए कह रही है. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद गुंजियाल कहते हैं कि अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है. कल्याण बिगहा में रहने वाले दिहाड़ी मजबूर आशीष ठाकुर कहते हैं कि उनके पिता की मौत 1999 में हो गई थी और वह नहीं जानते कि कैसे अपने पिता की पहचान साबित करें.

क्या फिर से वोटर कार्ड बनवाना पड़ेगा ?
तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर में बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं. यहां की रहने वाली बिंदु देवी कहती हैं कि उन्हें 27 मार्च को ही नया वोटर कार्ड मिला है. वह कहती है कि उन्होंने ऑनलाइन फॉर्म भरने और अपना वोटर कार्ड बनवाने के लिए एक कंप्यूटर ऑपरेटर को 50 रुपए दिए हैं. बिंदु देवी पूछती है कि क्या उन्हें इसे फिर से बनवाना पड़ेगा ? राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि युवा, गरीब, दलित जो तेजस्वी यादव के वोटर हैं, उनके लिए सूची में नाम जुड़वाना मुश्किल होगा. जदयू ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद के लिए काम में लगाया है.