
नई दिल्ली से समाचार संपादक देहाती विश्वनाथ की विशेष रिपोर्ट
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी हलचल के बीच तेजस्वी यादव ने दावा किया कि वोटर वेरीफिकेशन के दौरान वोटर लिस्ट से लाखों लोगों के नाम काट दिए गए. इसी वोटर ने कई सरकारें चुनी है. जब बेईमानी करना है तो हम लोग मिलकर बहिष्कार पर विचार कर सकते हैं. महागठबंधन अगर चुनाव का बॉयकॉट करता है तो फिर क्या होगा ?
नई दिल्ली/ पटना/ हैदराबाद, 25 जुलाई, 2025. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट सुधार की प्रक्रिया स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ( एसआईआर ) को लेकर पटना से दिल्ली तक की सियासत गरमा गई है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने एसआईआर को लेकर मोर्चा खोल दिया है और अब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने तक की धमकी दे दी है . तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर में पारदर्शिता नहीं बरती गई, तो ‘ महागठबंधन ‘ बिहार चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है. तेजस्वी ने कहा कि चुनाव के बॉयकॉट पर हम अपने सहयोगी दलों से चर्चा करेंगे, क्योंकि जनता जानना चाहती है और बाकी पार्टियां क्या चाहती है. एक यादव ने कहा कि जब चुनाव ईमानदारी से करवाया ही नहीं जा रहा तो चुनाव ही क्यों करवा रहे हैं. बिहार में बीजेपी को एक्सटेंशन दे दो. उन्होंने कहा कि चुनाव कंप्रोमाइज हो चुका है. ऐसी स्थिति में चुनाव में हिस्सा लेने का क्या फायदा. अब सबसे बड़ा सवाल है कि अगर महागठबंधन में शामिल सभी दल चुनाव का बॉयकॉट कर दें तो क्या चुनाव नहीं होगा ?
तेजस्वी बॉयकॉट करते हैं तो क्या होगा ?
राजद नेता तेजस्वी यादव ने जिस तरह चुनाव के बहिष्कार करने की बात कही है, उससे बिहार की राजनीति में नया मोड आ सकता है. तेजस्वी के इस ऐलान के बाद से सभी की निगाहें महागठबंधन के फैसला पर टिकी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, और किसी भी दल या फिर गठबंधन के बहिष्कार से चुनाव प्रक्रिया रुकना असंभव है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ध्रुव गुप्ता कहते हैं कि चुनाव कराने का काम चुनाव आयोग का है . संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को चुनाव कराने, उसकी प्रक्रिया तय करने, और उसे नियंत्रित करने का अधिकार है. इस पर कोई रोक नहीं लगा सकता. चुनाव आयोग ही तय करता है कि चुनाव निष्पक्ष हो. प्रतिस्पर्धी हो यानी कि जो चाहे वह चुनाव लड़े और उसे बराबर का मौका मिले. किसी के साथ पक्षपात न हो. सांसद पप्पू यादव ने भी कह दिया है कि निर्वाचन आयोग तैयार नहीं होता है, तब चुनाव बहिष्कार आखिरी विकल्प होगा.
तेजस्वी के बहिष्कार से नहीं पड़ेगा असर
चुनाव आयोग को निर्धारित समय पर चुनाव कराने की जिम्मेदारी है. ऐसे में कोई राजनीतिक दल अगर बहिष्कार का फैसला करता है तो सिर्फ उसे दल की सियासी रणनीति को प्रभावित करता है, न कि चुनाव प्रक्रिया को. इसीलिए भले ही उसमें कोई दल हिस्सा ले या नहीं. अगर केवल सत्तारूढ़ यानी जो दल सरकार चल रहा है, वही चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े करता है, या कोई निर्दलीय कैंडिडेट भी होता है तो भी चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है.
बिहार में क्या होगा बॉयकॉट फरमान का असर
फिलहाल बिहार की सियासत में सीआईआर का मुद्दा गरमाया हुआ है, और जनता की नजरें इस पर टिकी हुई है. विपक्ष चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर रहा है, जिसका कोई सीधा असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक दबाव का दांव जरूर माना जा रहा है.