हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो चीफ देहाती विश्वनाथ की यह खास रिपोर्ट.
नई दिल्ली/हैदराबाद,4 जनवरी,2024.वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक वाईएस शर्मिला गुरुवार ( 4 जनवरी) को कांग्रेस में शामिल हो गई. इसके साथ ही उनकी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया. कांग्रेस पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया. कांग्रेस को उनसे लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत बनाने की उम्मीद है. शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन है. माना जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व वाईएस शर्मिला को इस साल लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका देगा. इस कदम का उद्देश्य आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के तौर पर भी देखा जा रहा है. पार्टी को उम्मीद है कि जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी छोड़ने के इच्छुक लोग अब कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी संघर्ष करती दिख रही है, ऐसे में शर्मिला के सामने इसे बेहतर मौके के रूप में देखा जा रहा है. तो सवाल है कि क्या शर्मिला इतनी अनुभवी नेता है कि वह कांग्रेस को राज्य में पुनर्जीवित कर पाएं? दरअसल, शर्मिला पहली बार 2012 में सुर्खियों में आई जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग नहीं हुआ था. तब उनके भाई जगनमोहन रेड्डी कांग्रेस में थे . राज्य आंदोलन जोर पकड़ने के बीच उनके भाई ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और वाईएससीआरपी का गठन किया. उनके साथ 18 विधायक भी शामिल हुए. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद जगन मोहन रेड्डी जब जेल में थे, तब उनकी मां वाईएस विजयम्मा और बहन शर्मिला ने अभियान का नेतृत्व किया और वाईएससीआरपी ने चुनावों में जीत हासिल की. यानी शर्मिला और उनके भाई के बीच पहले एकजुटता थी और किसी तरह की अनबन की खबर नहीं थी. इन दोनों के बीच अनबन की खबर करीब 2 साल पहले ही आई . शर्मिला ने 2 साल पहले कहा था कि उनके भाई के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हैं . उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वाईएसआरसीपी की तेलंगाना में कोई मौजूदगी नहीं है.उसी साल जुलाई में उन्होंने वाईएसआर तेलंगाना पार्टी के गठन की घोषणा की थी. हालांकि शर्मिला का कांग्रेस को लेकर नरम रुख तब सामने आया जब उन्होंने पिछले वर्ष तेलंगाना में चुनाव से पहले अपनी पार्टी के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी. शर्मिला ने घोषणा की थी, वह तेलंगाना चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने तब कहा था कि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए अच्छी स्थिति में है और वह इसे कमजोर नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा था, मैं कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे रही हूं क्योंकि कांग्रेस पार्टी के पास तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीतने की संभावना है. शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने के दो कारण बताए जा रहे हैं. एक तो उनके भाई से मतभेद है और कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी पार्टी की गतिविधियों को जारी रखने के लिए धन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब कांग्रेस पार्टी द्वारा तेलंगाना में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने और राज्य में बीआरएस का प्रभुत्व खत्म कर दिया गया है.