पश्चिम बंगाल: तृणमूल कांग्रेस में अंतर्कलह, मौका तलाशी रही बीजेपी !

हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो चीफ देहाती विश्वनाथ की यह रिपोर्ट.

कोलकाता/हैदराबाद,6 जनवरी, 2024. पश्चिम बंगाल में सतारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में नई और पुरानी पीढ़ी के नेताओं के बीच जारी टकराव पर भाजपा की भी नजर है . दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा 2021 के विधानसभा चुनाव में आजमाए हुए फार्मूले यानी तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपने पाले में करने की राह पर चल पड़ी है. उत्तर बंगाल में तो पार्टी मजबूत है और वर्ष 2019 में उसने एक के अलावा इलाके की सभी सीटें जीत ली थी. लेकिन इस बार उसकी निगाहें दक्षिण बंगाल के उन इलाकों पर है जहां उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा था . इनमें कोलकाता से सटे उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों के अलावा बीरभूम और जंगल महल के इलाके शामिल है . इस संबंध में प्रदेश भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहते हैं, तृणमूल कांग्रेस में जारी टकराव पर केंद्रीय नेतृत्व की निगाहें हैं . आधा दर्जन ऐसे नेता हैं, जिनके कारण दक्षिण बंगाल में हमारी स्थिति मजबूत हो सकती है. हालांकि, वह ऐसे नेताओं के नामों का खुलासा करने से इनकार करते हैं और कहते हैं कि समय आने पर सब कुछ पता चल जाएगा . ऐसे तृणमूल कांग्रेस भी इस खतरे से अनजान नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, भाजपा के लिए हमारे नेताओं को तोड़ने की कोशिश कोई नई बात नहीं है. भगवा पार्टी का यहां कोई अपना जनाधार तो है नहीं. वह तृणमूल कांग्रेस नेताओं को डरा धमका कर अपनी पार्टी में शामिल करने की जोड़ तोड़ में जुटी हुई है. वह मानते हैं कि पार्टी में नई और पुरानी पीढ़ी के नेताओं के बीच जारी उठापटक का फायदा उठाने की कोशिश कर सकती है. लेकिन उनका दावा है कि भाजपा को इसमें कोई कामयाबी नहीं मिलेगी. उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि पार्टी दूसरे राजनीतिक दलों के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को अपने साथ लेने को तरजीह देगी. वह कहते हैं, सत्तारूढ़ पार्टी के ज्यादातर शीर्ष नेता भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं. इसलिए अगर उस पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता अगर हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं तो हम उनको जरूर साथ लेंगे. लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक ऐसे बयान की तुलना हाथी के दांत से करते हैं. इस संबंध में प्रो. समीरन पाल कहते हैं, राजनीति में ऐसे बयानों का कोई खास मतलब नहीं होता है. यह बहुत कुछ हाथी के दांत की तरह है, खाने के और दिखाने के और. इससे पहले भाजपा मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी समेत जिन नेताओं को साथ ले चुकी है उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह पार्टी की दो दिवसीय राज्य समिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई थी . केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को अंतर्कलह पर काबू पाने का निर्देश दिया है. दरअसल, 2021 के विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा आंतरिक संघर्ष, दलबदल और चुनावी असफलताओं से जूझ रही है. वैसे अमित शाह और जेपी नड्डा के दौरे के दौरान एक असंतुष्ट नेता अनुपम हाजरा को पार्टी के सचिव पद से हटाकर असंतुष्ट नेताओं को कर संदेश दिया गया है. भाजपा इस बार पिछली गलती को दोहराना नहीं चाहती है. विधानसभा चुनाव से पहले उसने तृणमूल कांग्रेस के राजीव बैनर्जी और सुनील मंडल समेत जिन मंत्रियों और पूर्व सांसदों को पार्टी में शामिल किया था. उनमें से ज्यादातर अब घर वापसी कर चुके हैं. उधर, टीएमसी का कहना है कि भाजपा को पहले अपना घर संभालना चाहिए.