
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं पर महिलाओं का उत्पीड़न करने के आरोप लगे हैं . भाजपा इसे लेकर काफी मुखर है, जबकि की तृणमूल कांग्रेस के नेता इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं. इस बीच संदेशखाली के आम क्या कहते हैं और संदेशखाली पश्चिम बंगाल की राजनीति में कैसे अहम हो गया.
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो चीफ देहाती विश्वनाथ की यह विशेष रिपोर्ट.
कोलकाता /हैदराबाद,26 फरवरी, 2024. सुंदरबन इलाके के संदेशखाली द्वीप पर पहुंचने के लिए जिस कालन्दी नदी को पार करना पड़ता है, वह बांग्लादेश से घुसपैठ का लोकप्रिय रास्ता है. नदी के इस पार जिस धामाखाली घाट से नाव के जरिए संदेशखाली जाना पड़ता है,वहीं पर कुछ साल पहले बीबीसी न्यूज़ बांग्ला के रिपोर्टर अमिताभ भट्टासाली घुसपैठ के आरोप में सीमा सुरक्षा बल ( बीएसएफ ) के हाथों गिरफ्तार कुछ महिला- पुरुषों से बात की थी. बीएसएफ ने उस शाम तीन नावों में भरकर सीमा पार से आए डेढ़ सौ से अधिक बांग्लादेशी लोगों को पकड़ा था . धामाखाली के उस तट से नदी के पार बसा संदेश – खाली नजर आ रहा था.हाल तक शांत रहा यह द्वीप फिलहाल भारतीय राजनीति में सब से ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है. कुछ सप्ताह पहले इस द्वीप पर महिलाओं की ओर से बड़े पैमाने पर शुरू प्रदर्शन ने इसे राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला दिया है. महिलाऐं अपने हाथों में लाठी और झाड़ू लेकर सड़कों पर उतरी थी. वो शाहजहां शेख, शिबू हजरा और उत्तम सरदार की गिरफ्तारी की मांग कर रही थी. महिलाओं का आरोप था कि राज्य में सतारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के यह तीन नेता और उनके सहयोगी लंबे समय से इलाके के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. उन पर यौन उत्पीड़न और खेती की जमीन पर जबरन कब्जे का आरोप भी लगा था. शिबू हाजरा और उत्तम सरदार फिलहाल पुलिस गिरफ्त में हैं. वहीं, शाहजहां शेख फरार है . इसलिए इन आरोपों पर उनकी टिप्पणी नहीं मिल सकी है.

पीठा — पुली बनाने के लिए बुलाते थे
जो लोग ऐसे आरोप लगा रहे हैं, वो कहां मिलेंगे. इस सवाल पर संदेशखाली बाजार में एक दुकानदार ने कहा, ” संदेश खाली ” का लगभग हर आदमी यह आरोप लगा रहा है. आप किसी भी मोहल्ले में चले जाइए, आपको सुनने को मिलेगा कि कुछ सालों से कैसा अत्याचार चल रहा है. ” बैटरी– चलित रिक्शे यह कुछ दूर जाने पर कुछ महिलाएं और पुरुष सड़क के किनारे बांस काटते नजर आए. लेकिन साथ में कैमरा देखकर वे किसी भी शर्त पर बातचीत के लिए तैयार नहीं हो रहे थे. एक महिला ने कहा, ” मीडिया में हमारे चेहरे नजर आने पर हमले का डर है. इससे पहले जिन लोगों ने मीडिया से बात की है उन पर हमले हुए हैं और धमकियां मिली है. लेकिन कुछ देर बाद उनमें से एक महिला मुंह ढक कर बात करने को राजी हो गई. उन्होंने कहा, ” महिलाओं को पीठा – पुली यानी बंगाल का एक खास तरह का पकवान, जिसे चावल के आटे में खोवा भरकर बनाया जाता है, बनाने के लिए ले जाते थे. क्या उनके घर मां बहन नहीं है? क्या उनके घर कोई पीठा – पुली नहीं बनता? खूबसूरत माताओं — बहनों को ले जाकर पीठा– पुली क्यों बनवाया जाता था? कभी पीठा — पुली बनाने के बहाने तो कभी मांस और भात के पिकनिक के नाम पर तो कभी पार्टी की मीटिंग के नाम पर बुला लिया जाता था. इन बुलावों का कोई निर्धारित समय नहीं होता था” कुछ देर बाद एक अन्य महिला ने कहा, शाम के सात बजे, रात को 9बजे, 10बजे और यहां तक की रात को 11 बजे तक भी बुलाते थे
तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर में मीटिंग के लिए बुलाने पर जाना अनिवार्य था . जो लोग नहीं जाते थे उनके घर के पुरुषों के साथ अगले दिन मारपीट की जाती थी. एक पुरुष ने कैमरे से मुंह फेर कर कहा, ” मान लें कि अगर आज मीटिंग है तो उनको तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर में ले जाते थे. खूबसूरत और कम उम्र वाली महिलाओं और युवतियों को चुन चुन कर भीतर ले जाते थे. बच्चों और बुजुर्ग महिलाओं को बाहर बिठा देते थे. भीतर ले जाकर दरवाजे बंद कर लेते थे. भीतर क्या होता था, यह नहीं बता सकता. ” भीतर आखिर महिलाओं के साथ क्या होता था? इस सवाल पर लगभग सबका कहना है कि इस बारे में पूछने पर महिलाएं कहती थी कि इस शर्मनाक बात को कैसे बताऊं. एक अन्य महिला बताती हैं, ” वहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया जाता था. क्या कोई महिला या युवती इस अत्याचार की बात अपने मुंह से कह सकती है? पुलिस के पास जाने पर वह उन नेताओं के पास जाकर ही विवाद खत्म करने की सलाह देती थी. पानी सर के ऊपर से गुजरने के बाद हम रास्ते पर उतरने पर मजबूर हुई हैं . संदेशखाली के विभिन्न गांव में घूमने पर ऐसी कोई महिला नहीं मिली जो खुद यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हो.
सामूहिक दुष्कर्म का आरोप
शुरुआत में इन आरोपों की सच्चाई पर कइयों के मन में संदेह हुआ था. सवाल उठ रहे थे कि सोशल मीडिया के मौजूदा दौर में महिलाओं पर इतने दिनों तक चले अत्याचारों के बावजूद कहीं से यह मामला किसी तरह बाहर क्यों नहीं आया? संदेशखाली में बवाल शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा था कि उस इलाके में आरएसएस का गढ़ है. मुख्यमंत्री ममता ने कहा, उस इलाके में आरएसएस का संगठन है. सात आठ साल पहले वहां दंगे भी हुए थे. वह इलाका दंगों के लिहाज से संवेदनशील है. हालांकि , तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि उन सभी आरोपियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जिन्होंने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया.