बीजेडी नेता बीके पांडियन और प्रणब प्रकाश दास 7 मार्च को बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से मिलने दिल्ली गए थे . इसके बाद ही गठबंधन की अटकलें शुरू हुई थी.
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की यह खास रिपोर्ट .
भुवनेश्वर/हैदराबाद,9 मार्च, 2024. ओड़िशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ( बीजेडी ) और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत फेल हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने दिल्ली से लौटने के बाद भुवनेश्वर में मीडिया से कहा कि हमारी पार्टी राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी. किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन या सीट बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है. सामल ने कहा – हम चुनावों के लिए अपनी तैयारियों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली गए हुए थे. जहां हमने अपने सिर्फ नेताओं से इस मसले पर बातचीत की है. बीजेपी ओड़िशा में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर पूरी तरह आशश्वत हैं. पार्टी दोनों चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी . दरअसल, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर पिछले कुछ दिनों से अटकलें तेज हो गई थी. सूत्र बताते हैं कि बीजेडी नेता बीके पांडियन और प्रणव प्रकाश दास 7 मार्च को बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से मिलने दिल्ली गए हुए थे . हालांकि, दिल्ली से लौट के बाद बीजेडी नेताओं ने चुप्पी साधी रही.
बीजेडी और बीजेपी को एक दूसरे की मांग मंजूर नहीं.
सूत्रों का कहना है कि बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की बातचीत सीट बंटवारे पर अटक गई है. बीजेडी ने विधानसभा की 147 सीटों में से 112, लगभग 75% सीटों की मांग की थी . लेकिन भाजपा को यह मंजूर नहीं था. फिलहाल विधानसभा में बीजेडी के पास 114 सदस्य हैं. इसके उलट बीजेपी ने राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें मांगी थी, जिसे बीजेडी ने खारिज कर दिया. बीजेडी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 12 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 8 सीटें जीती थीं. बीजेडी के एक सीनियर नेता ने बताया कि 10 से कम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना हमारे लिए आत्मघाती होगा.
2009 में बीजेडी — बीजेपी का 11 साल का गठबंधन टूटा था.
1998 में जनता दल विभाजित होने के बाद नवीन पटनायक ने अपनी पार्टी, बीजू जनता दल बनाई थी. वे वाजपेई नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में शामिल हो गए. उन्हें इस्पात और खान मंत्री बनाया गया. बीजेपी और बीजेडी साल 1998 से 2009 के बीच गठबंधन में रही थी. दोनों पार्टियां तीन लोकसभा चुनाव -1998,1999 और 2004 एवं दो विधानसभा चुनाव – 2000 और 2004 में एक साथ उतरी थी. उसे समय बीजेडी पार्टी एनडीए की सबसे भरोसेमंद पार्टी मानी जाती थी. हालांकि, 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी और 11 साल बाद गठबंधन टूट गया. बीजेडी चाहती थी कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में 40 सीट पर चुनाव लड़े, जबकि बीजेपी 63 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी . जबकि लोकसभा के लिए भी बीजेडी बीजेपी को 21 में से 6 सीटें देना चाहती थी, वहीं, बीजेपी 9 सीटें चाहती थी. गठबंधन टूटने के बाद भाजपा नेता सुषमा स्वराज जो अब दिवंगत हैं, ने कहा था कि नवीन पटनायक को यह गठबंधन तोड़ना काफी भारी पड़ेगा.
लोकसभा चुनाव 2019
विधानसभा चुनाव 2019