बेंगलुरु में जल संकट गहरा गया है. पानी की कमी के कारण लोग रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर करने लगे हैं. तापमान चढ़ने के बाद भी उन्हें नहाने के लिए प्लानिंग करनी पड़ रही है. मानसून आने में अभी 3 महीने बाकी हैं . अगर समाधान नहीं निकला तो लोगों के हालात बुरे हो सकते हैं.
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की यह विशेष रिपोर्ट.
बेंगलुरु/ हैदराबाद, 16 मार्च, भारत की सिलिकॉन वैली शहर बेंगलुरु जल संकट से जूझ रहा है. सरकार पानी बचाने के उपाय कर रही है. पीने वाले पानी से गाड़ी धोने और पौधों में पानी देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बेंगलुरु शहर के स्विमिंग पूल भी बंद है. नियम तोड़ने पर 5 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. शहर के 1.4 करोड़ पानी बचाने के लिए नए-नए तरीके आजमा रहे हैं. सेंट्रल बेंगलुरु में तो हालत बहुत ही खराब है. अपार्टमेंट में रहने वाले लोग रोज नहा नहीं पा रहे हैं. वॉशरूम जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए शॉपिंग मॉल के चक्कर लगा रहे हैं. मर गए ऑनलाइन फूड ऑर्डर की डिमांड बढ़ गई है. जो लोग घर में कुकिंग कर रहे हैं, वह डिस्पोजल प्लेट और ग्लास का उपयोग कर रहे हैं, ताकि बर्तन नहीं धोना पड़े. दूसरी तरफ बेंगलुरु शहर में टैंकर माफियाओं ने पानी की कीमत बढ़ा दी है . एक सप्ताह पहले तक 2 हजार रुपए में मिलने वाले वाटर टैंकर की कीमत 5 हजार के पार पहुंच गई है.
होटल वाले दे रहे हैं डिस्पोजल में खाना, स्कूल भी बंद
बेंगलुरु में पानी की किल्ल्त का असर लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगा हैं. जिस इंडस्ट्री में पानी की जरूरत होती है, वह बंद पड़े हैं. आईटी इंडस्ट्री भी प्रभावित होने लगी है और कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम की मांग करने लगे हैं. सेंट्रल बेंगलुरु के कई स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को बंद कर दिया गया है. छात्रों को ऑनलाइन क्लास करने की सलाह दी गई है . हालत यह है कि लोग स्पेशल संकट की तुलना कोविद के दौर से करने लगे हैं. के आर पुरम की एक महिला ने बताया कि बेंगलुरु का तापमान लगातार बढ़ रहा है, इसके बावजूद लोग पानी बचाने के लिए रोज नहीं नहा रहे हैं. शहर के राजाजी नगर, चिक्कापेटे, बोम्मनहल्ली, राममूर्ति नगर, मराठाहल्ली और बापूजी नगर में ढाबों पर पानी मिलना बंद हो गया है. विभिन्न होटलों में भी डिस्पोजल प्लेट में खाना परोसा जा रहा है.
दो-तीन महीने और होगी दिक्कत, बारिश का इंतजार बेंगलुरु शहर को मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति दो स्रोतों से होती है– कावेरी नदी और ग्राउंड वाटर. सामान्य दिनों में 145 करोड़ लीटर कावेरी का पानी और 55 करोड़ लीटर ग्राउंडवाटर की सप्लाई होती है. बारिश में कमी के कारण बेंगलुरु के 50 फ़ीसदी बोरवेल सूख गए हैं. ग्राउंडवाटर 1800 फीट नीचे तक गिर चुका है. 262 झीलों में से सिर्फ 82 में पानी बचा हुआ है. फिलहाल डिमांड के मुकाबला 20 करोड़ लीटर कम पानी सप्लाई हो रही है. बेंगलुरु को अगले 5 महीनों के लिए 8 से 9 टीएमसी पानी की जरूरत है. पेयजल संकट के कारण कर्नाटक की राजनीति भी गरमाने लगी है. कई इलाकों में लोग पानी के लिए सड़क पर उतर आए हैं. अनेक राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता रोजाना राज्य के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. जबकि राज्य सरकार केंद्र पर सहयोग नहीं करने का आरोप लग रही है. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार सूखाग्रस्त कर्नाटक की आर्थिक मदद नहीं कर रही है.