दोराहे पर खड़ी कांग्रेस ! राहुल के रास्ते चलती रहेगी या थरूर का दिखाया नया मार्ग अपनाएगी

नई दिल्ली/ अहमदाबाद/ हैदराबाद, 10 अप्रैल, 2025. खुद को देश की सबसे पुरानी पार्टी बताने वाली कांग्रेस एक बार फिर से उसे जगह पर खड़ी हो गई है, जहां से उसे तय करना है कि उसे अपनी पुरानी प्रतिष्ठा फिर से कायम करने के लिए किस दिशा में चलना है. पार्टी के पास एक विकल्प है बीजेपी के साथ टकराव वाली राजनीति के पथ पर चलते रहने की, जो अभी मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई और राहुल गांधी के मार्गदर्शन में हो रहा है. दूसरा विकल्प वह है, जो केरल से पार्टी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने दिया है.

दोराहे पर खड़ी कांग्रेस

शशि थरूर ने कहा है,’ एक पार्टी के तौर पर हमें भविष्य की ओर देखना है, सिर्फ अतीत की ओर नहीं. एक ऐसी पार्टी जिसका दृष्टिकोण सकारात्मक हो, न कि मात्र नकारात्मकता भरी हो. एक ऐसी पार्टी जो समाधान बता सके, न कि सिर्फ नारेबाजी करती रह जाए.’

थरूर ने कांग्रेस को दिया विकल्प

शशि थरूर ने जो कुछ कहा है, वह इस वजह से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्होंने गुजरात की धरती पर पार्टी को जगाने की कोशिश की है, जो गांधी और सरदार पटेल दोनों की भूमि है. दिलचस्प बात यह है कि जब पटेल को बीजेपी ने सियासी तौर पर भुनाने में कोई कमी नहीं रख छोड़ी है तो कांग्रेस को भी अब उस ओर देखने की आवश्यकता महसूस होने लगी है. शशि थरूर के मुताबिक,’ हमें पहले जो वोट मिले हैं, उसे बनाए रखने की आवश्यकता है, लेकिन हम पिछला तीन चुनाव जीतने में नाकाम रहे हैं और यह संकल्प हमें उसी की ओर ले जाता है. यह एक ऐसा संकल्प है, जिसमें सकारात्मक आलोचना के लिए जगह है, सिर्फ नकारात्मकता तक सीमित रहने के लिए नहीं.

खड़गे और राहुल के विचारों में नहीं आ रहा बदलाव
दो दिनों के कांग्रेस अधिवेशन में शशि थरूर के यह विचार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की लाइन से ठीक उलट है. कांग्रेस के इन दोनों शीर्ष नेताओं ने उस गुजरात में बीजेपी और आरएसएस पर अपना हमला जारी रखा है, जहां 3 दशकों से इनकी विचारधारा का दबदबा कायम है और हाल के निकाय चुनावों में कांग्रेस का मुस्लिम जनाधार भी उससे छिंटककर भाजपा का मुंह देखने लगा है.

ईसाई, सिख और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए भी कांग्रेस कर रही चिंता

राहुल और खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस बीजेपी और संघ पर हमला जारी रखने के लिए नए वक्फ कानून को अपना हथियार बनाना चाह रही है और इसे कथित रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के खिलाफ बताने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि कथित तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाने के बाद आरएसएस और बीजेपी ईसाई, सिख और अन्य अल्पसंख्यकों को भी टारगेट करेंगे.

किसी राह को चुनेगी कांग्रेस ?

अब कांग्रेस पार्टी को तय करना है कि वह भविष्य में किस रास्ते पर चलने का संकल्प लेती है. यह इस वजह से और भी दिलचस्प है कि शशि थरूर हाल के दिनों में अपने कई बयानों से सुर्खियों में रहे हैं, जिसे भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार की सराहना के तौर पर देखा गया है.