वाईएस शर्मिला के लिए मंच तैयार, कांग्रेस को आंध्र में उम्मीद. आंध्र प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख गिडुगु रुद्र राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हाल ही में कांग्रेस ज्वाइन करने वाली वाईएस शर्मिला आंध्र प्रदेश कांग्रेस की गद्दी संभालने के लिए तैयार हैं .
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की खास रिपोर्ट

अमरावती/हैदराबाद,16 जनवरी, 2024.आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया गिडुगू रुद्र राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है . इसके बाद हाल ही में कांग्रेस ज्वाइन करने वाली वाईएसआर शर्मिला आंध्र प्रदेश कांग्रेस की गद्दी संभालने के लिए तैयार हैं . इसके साथ ही आंध्र प्रदेश में सियासी खिचड़ी पकनी शुरू हो चुकी है. वाईएस शर्मिला के कांग्रेस में आने के साथ ही तय हो गया था कि वह अपने भाई तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी से मुकाबला करेंगी. लेकिन कांग्रेस चाहती है कि शर्मिला बड़ी भूमिका में रहते हुए भाई के साथ सत्ता के लिए दो-दो हाथ करें . बता दें कि रुद्र राजू 20 जनवरी से कांग्रेस के वोटर से जुड़ने के लिए कार्यक्रम को लीड करने वाले थे. लेकिन उन्होंने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेज दिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे कोई वजह नहीं बताई है .
दिलचस्प होगा मुकाबला
शर्मिला आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी है. उन्होंने 4 जनवरी को अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी को कांग्रेस में मर्ज कर दिया. तब शर्मिला ने कहा था कि वह प्रदेश में कोई भी भूमिका स्वीकार करेगी . हालांकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस चाहती है कि वह यहां पर प्रदेश अध्यक्ष बनें और आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने भाई से मुकाबला करें . कांग्रेस में शर्मिला की एंट्री पर रुद्र राजू ने कहा था कि वह उनके द्वारा दिए किसी भी पद को स्वीकार करेंगे. अगर शर्मिला कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनती है तो आंध्र की राजनीति में आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भाई बहन के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा .
भाई बहन के बीच मतभेद
जगनमोहन रेड्डी ने 2011 में कांग्रेस से अलग होकर वाईएसआरसीपी बनाई थी. तब जगन आंध्र में पार्टी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जबकि उनकी बहन शर्मिला को राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था. वाईएसआर परिवार के करीबियों का कहना है कि बहुत जल्द ही भाई बहन के बीच मतभेद पनपने लगे थे. पिता राजशेखर रेड्डी की 2009 में मौत होने के बाद से ही भाई बहन विभिन्न मुद्दों पर सहमत नहीं थे. जुलाई 2021 में दोनों ने अपने सियासी रास्ते अलग कर लिए और शर्मिला ने अपने भाई के रास्ते में आने की जगह तेलंगाना में पार्टी खड़ी थी . मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शर्मिला के कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले जगन ने वाईएस सुब्बा रेड्डी को उनसे बात करने के लिए हैदराबाद भेजा था. उन्हें डर था कि ऐसा होने पर आंध्र प्रदेश में भाई बहन के बीच टकराव का संदेश जाएगा. हालांकि, बातचीत किसी अस्पष्ट नतीजे पर नहीं पहुंच सकी .
कांग्रेस को उम्मीद
आंध्र प्रदेश में कांग्रेस 2014 से ही हाशिए पर है, जब प्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना बनाया गया था. पार्टी 2014 और 2019 दोनों चुनावों में राज्य में एक भी विधानसभा या लोकसभा सीट नहीं जीत सकी . अब कर्नाटक और तेलंगाना में चुनावी जीत से कांग्रेस का मनोबल बढा है. पार्टी को उम्मीद है कि वह आंध्र प्रदेश में भी अच्छा कर सकती है. वह जमीनी स्तर पर चल रही नब्ज को भांपने के लिए उन लोगों तक पहुंच रही है जो राज्य के बंटवारे को लेकर पार्टी से नाराज हैं . रुद्र राजू का कार्यक्रम भी इसी का हिस्सा था.