तेलंगाना हाई कोर्ट ने दो एमएलसी के शपथ लेने पर लगाई रोक, जानें क्या है मामला.

कोदंडराम और आमेर अली खान दोनों बीते सोमवार को शपथ लेने के लिए विधान परिषद अध्यक्ष कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन परिषद के अध्यक्ष गुथा सुखिंद्र रेड्डी वहां मौजूद नहीं थे, इस कारण दोनों नेता करीब तीन घंटे तक इंतजार करने के बाद बिना शपथ ग्रहण के वापस लौट आए.

हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की खास रिपोर्ट.

हैदराबाद,31 जनवरी, 2024. तेलंगाना हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य विधान परिषद के सदस्यों के रूप में कोदंडराम और आमेर अली खान के शपथ लेने पर रोक लगा दी. अदालत ने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक एमएलसी की दो रिक्तियों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए. अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति आलोक आराधे और न्यायमूर्ति एस नंदा की पीठ ने बीआरएस नेता दासोजू श्रवण कुमार और सत्यनारायण द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया, जिसमें पिछले साल राज्यपाल द्वारा उनके नामांकन की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी.

याचिकाओं पर फैसला आने तक रोक

अदालत ने यह आदेश याचिकाकर्तायों कि उस याचिका पर सुनाया, जिसमें अदालत ने उनकी याचिकाओं पर फैसला आने तक शपथ ग्रहण रोकने की मांग की थी . अंतरिम आदेश 8 फरवरी तकलागू रहेगा, जब याचिकाओं पर सुनवाई होगी. गौर तलब है कि राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने 25 जनवरी को नई राज्य सरकार की सिफारिश पर तेलंगाना जन समिति के अध्यक्ष कोदंडराम और पेशे से पत्रकार रहे आमेर अली खान को राज्यपाल के कोटे के तहत विधान परिषद के सदस्य के तौर पर नामित किया था .

3 घंटे इंतजार कर बिना शपथ के वापस लौटे दोनों नेता

कोदंडराम और आमेर अली खान दोनों बीते सोमवार को शपथ लेने तेलंगाना विधान परिषद के अध्यक्ष कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन परिषद के अध्यक्ष गुथा सुखिंद्र रेड्डी कार्यालय में मौजूद नहीं थे, इस वजह से करीब 3 घंटे इंतजार के बाद दोनों नेता वापस लौट आए . उन्हें बताया गया कि विधान परिषद के अध्यक्ष सुखिंद्र रेड्डी की तबीयत ठीक नहीं है एवं उन्होंने शपथ दिलाने के लिए वक्त मांगा है. इस बीच राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सुखिंद्र रेड्डी जानबूझकर शपथ दिलाने से परहेज किया, क्योंकि वे भारत राष्ट्र समिति से हैं और श्रवण कुमार व सत्यनारायण की याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी . इससे पहले राज्यपाल ने तेलंगाना हाई कोर्ट की ओर से रिट याचिकाओं का निपटारा होने तक राज्यपाल कोटे के तहत रिक्त एमएलसी सीटें नहीं भरने का फैसला किया था. लेकिन बाद में नामांकन करा दिया गया. श्रवण कुमार और सत्यनारायण को पिछली बीआरएस सरकार ने विधान परिषद के लिए नामित किया था, लेकिन राज्यपाल ने नामांकन खारिज कर दिया . जानकारी के मुताबिक पिछले 7 जुलाई में तत्कालीन राज्य मंत्रिमंडल की ओर से परित सिफारिश राज्यपाल को भेज दी गई थी लेकिन उन्होंने 19 सितंबर को इस आधार पर नामांकन खारिज कर दिया कि दोनों राजनीतिक रूप से जुड़े हुए व्यक्ति थे.