बिहार में अब नेताजी का क्या होगा? नीतीश की” पलटी ” के बाद बदले समीकरण.

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद को छोड़कर भाजपा के साथ आने से सियासी समीकरण बदल गए हैं. इनका सीधा असर कई लोकसभा सीटों पर पड़ेगा. सबसे ज्यादा मुश्किल जदयू छोड़कर भाजपा में आए आरसीपी सिंह के साथ होने वाली है. ऐसे में इसे लेकर सियासी गलियारों में कई सवाल तैर रहे हैं.

हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो प्रमुख देहाती विश्वनाथ की यह खास रिपोर्ट.

पटना/ हैदराबाद, 1 फरवरी, 224. गठबंधन धर्म में परिवर्तन के दिन से ही राजनीतिक गलियारे में यह सवाल जवाब मांग रहा है… अब इनका क्या होगा ? इनका… यानी आरसीपी सिंह जैसे नेताओं का जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपदस्थ करने के इरादे के साथ जदयू से अलग हुए थे. लोकसभा चुनाव लड़ने का मंसूबा भी था. लेकिन, नीतीश के फिर से राजग में शामिल होने के बाद मंसूबा धरा रह गया. कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आंख – कान रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह जब पिछले साल 11मई को भाजपा में शामिल हुए तो उनका तेवर बदल गया था. उन्होंने कहा था- नीतीश कुमार को अंग्रेजी के ‘ सी ‘ अक्षर से बहुत प्यार है. सो वे क्राइम, करप्शन और चेयर से बहुत प्यार करते हैं. सिंह ने इसके अलावा भी कई आरोप लगाए . आरसीपी नालंदा या मुंगेर से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन, अभी यह दोनों सीटें जदयू के पास हैं.

जदयू को बताया था बिना जनाधार की पार्टी

जदयू में रहने के समय पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणवीर नंदन भी नीतीश के करीबी रहे. जदयू से अलग होकर भाजपा में शामिल हुए तो उन्होंने कहा– जदयू बिना जनाधार की पार्टी है, जो बिहार पर शासन कर रही है . नंदन भाजपा नेताओं की उसे कतार में शामिल हैं, जिनके मन में पटना साहिब से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा है. जदयू के नेता प्रमोद चंद्रवंशी भाजपा में इस लक्ष्य के साथ शामिल हुए थे कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बन जाएंगे . विधानसभा चुनाव में वह जदयू के उम्मीदवार भी रह चुके हैं . पूर्व विधायक ललन पासवान ने भी उम्मीदवारी की आस में भाजपा का हाथ पकड़ा. हालांकि, उनका मामला अलग है. ललन पासवान सासाराम से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं .यह भाजपा की सीट है. इसी सीट के लिए एक अन्य दावेदार पंकज राम भी जदयू छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे.

जाति आधारित गणना में गड़बड़ी का आरोप लगाया

जदयू के पूर्व प्रवक्ता प्रगति मेहता जाति आधारित गणना में गड़बड़ी का आरोप लगाकर पार्टी से अलग हुए और भाजपा में शामिल हुए. वह 2014 में राजद टिकट पर उसे क्षेत्र से चुनाव लड़े थे . उधर, जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉक्टर कन्हैया सिंह भाजपा में शामिल हुए तो उन्हें यहां भी शिक्षा प्रकोष्ठ का संयोजक बनाया गया. इन्हें आरसीपी के करीबी लोगों में गिना जाता है. नीतीश के एनडीए में शामिल होने पर डॉ सिंह की टिप्पणी है – अब राज्य का विकास तेज गति से होगा .