हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा के दिन लोग घरों को अच्छे से सजाते हैं. घर को सजाने में आम के पत्तों का भी इस्तेमाल होता है. इस दिन सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने की परंपरा निभाई जाती है.
हैदराबाद से तेलंगाना ब्यूरो चीफ देहाती विश्वनाथ की यह विशेष रिपोर्ट.
हैदराबाद,2 अप्रैल, 2024. हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा का त्यौहार हर साल चैत्र महीने के पहले दिन बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन को उगादि नाम से भी जाना जाता है. नव वर्ष 2024 में गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास से होती है . महाराष्ट्र में हिंदू नव वर्ष को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि गुड्डी का अर्थ है ध्वज यानी झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहां जाता है . इसके अलावा यह दिन फसल दिवस का प्रतीक भी माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु व ब्रह्मा की पूजा भी की जाती है . लोग इस दिन घर को रंगोली, फूल माला आदि से सजाते हैं और कई तरह के पकवान बनाते हैं. गुड़ी पड़वा के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान आदि के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर गुडी लगती हैं और उसका पूजन करती हैं . यह पर्व विशेष तौर पर कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनाया जाता है.
गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11:50बजे से शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल को शाम 8:30 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के हिसाब से गुड़ी पड़वा का पर्व 9 अप्रैल को ही मनाया जाएगा.
ऐसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की सफाई कर रंगोली और आम या अशोक के पत्तों से अपने घर में तोरण बांधते हैं . घर के आगे एक झंडा लगाया जाता है जिसे गुडी कहा जाता है. एक बर्तन पर स्वास्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है. इस दिन सूर्य देव की आराधना के साथ ही सुंदरकांड, राम रक्षा स्तोत्र और देवी भगवती की पूजा– मित्रों का जप किया जाता है. स्वास्थ्य कामना हेतु नीम की कोपल गुड़ के साथ खाई जाती है. इसे लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे के घर मिलने के लिए जाते हैं. इस पर्व में पूरनपोली और श्रीखंड बनाया जाता है. मीठे चावल भी बनाए जाते हैं, जिसे शक्कर– भात भी कहा जाता है. इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और लोग गुडी फहराते हैं. बाद में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, गुड़ी पड़वा का दिन सृष्टि की रचना के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था. इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है. इसके अलावा एक और मान्यता है कि इस दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में पराजित किया था. कहते हैं कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, रामायण काल में दक्षिण भारत में जब सुग्रीव के बड़े भाई बालि का अत्याचारी शासन था एवं जब सीता माता की खोज के दौरान श्री राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई तो उन्हें वाली के अत्याचारों की जानकारी मिली तब भगवान राम ने बाली का वध करके वहां की प्रजा को अत्याचार से मुक्ति दिलाई. उसे दिन गुड़ी पड़वा का ही दिन था .