हिंदू राष्ट्र और राजशाही बहाल करने की मांग पर नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, 2 की मौत

हैदराबाद से समाचार संपादक देहाती विश्वनाथ की विशेष रिपोर्ट
नेपाल में राजशाही समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़प में शुक्रवार को एक पत्रकार सेमत 2 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए .
काठमांडू/ जनकपुर / हैदराबाद, 29 मार्च, 2025.
शुक्रवार को नेपाल की राजधानी काठमांडू में जब राजशाही समर्थकों का’ शक्ति प्रदर्शन’ शुरू हुआ, वह एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें इस प्रदर्शन के लीडर दुर्गा प्रसाई तेज रफ्तार से कार चलाकर बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश करते दिखे. वीडियो में उन्हें पुलिस की घेराबंदी तोड़ते हुए और आसपास के प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए देखा गया है. धीरे-धीरे उनके नेतृत्व में भीड़ के बेकाबू होने के फुटेज भी सार्वजनिक होने लगे. आसपास के इलाकों में दुकानों, घरों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों में आगजनी और लूटपाट शुरू हो गई . हालांकि पुलिस के बल प्रयोग करने के फुटेज देखे गए हैं . आखिरकार शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया झड़पों के दौरान 2 व्यक्ति की मौत की भी पुष्टि हुई है. रैली के आह्वान से एक दिन पहले गुरुवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के साथ मुलाकात के बाद दुर्गा प्रसाई ने कहा था कि राजशाही और हिंदू राज्य की स्थापना उनका धर्म है . उसी दिन उन्हें राजशाही पक्ष की संयुक्त जन आंदोलन समिति का कमांडर भी नियुक्त कर दिया गया.
दुर्गा प्रसाई बने राजशाही समर्थक आंदोलन का चेहरा
शुक्रवार को ही, काठमांडू में रिपब्लिकन – झुकाव वाले सोशलिस्ट फ्रंट का प्रदर्शन हुआ, जिसमें कई नेताओं ने लोगों को संबोधित किया लेकिन राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच भिड़ंत के बाद राजशाही समर्थक अपना भाषण देने में नाकाम रहे . राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता धवल शमशेर जबरा ने मीडिया से कहा, ” हालात तब बिगड़ गए जब पुलिस ने हमें मंच पर आते समय पकड़ लिया . ” उन्होंने कहा, ” प्लास्टिक की गोलियां और आंसू गैस मंच पर ही दागी गई. हम बैठक करेंगे और तय करेंगे कि आगे क्या करना है. ” हालांकि, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, बरसों से इस मुद्दे को उठती रही है, लेकिन ” राष्ट्र और राष्ट्रीयता, धर्म व संस्कृति एवं नागरिक बचाओ नामक गैर – राजनीतिक संगठन के प्रमुख को इसका नेता बनाए जाने से कई राजशाही समर्थक आश्चर्य चकित हैं . पत्रकारों से बात करते हुए प्रसाई ने खुद को स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया. उन्होंने कहा, ” आज आम जनता कहती है कि दूसरी पार्टियां या दुर्गा प्रसाई – राजा? यही बात है कि यह समय की मांग है. ” कई लोगों ने दिलचस्पी के साथ देखा है कि कैसे पूर्व माओवादी और यूएमएल के अंतिम आम अधिवेशन के केंद्रीय सदस्य प्रसाई, थोड़े समय में ही राजतंत्र वादी आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन गए .
राजशाही समर्थक नेता पर उठ रहे सवाल
शुक्रवार को भड़के राजशाही समर्थक आंदोलन में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने से उनके नेतृत्व पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. राजनीति के जानकारी कृष्ण पोखरेल बताते हैं कि राजशाही समर्थकों ने सोचा होगा कि ऐसी स्थिति में, वह कुछ भी कर सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं और इस तरह से उन्होंने प्रसाई को आगे रखा यह विश्वास करते हुए कि ” लोगों की एक बड़ी लहर उठेगी और व्यवस्था को उखाड़ फेंकेगी. ” पोखरेल के मुताबिक, ऐसी स्थिति में भी दुर्गा प्रसाई का अतीत यह नहीं दर्शाता है कि वह लंबी दूरी की दौड़ में शामिल हो सकेंगे. उनकी छवि ऐसी है कि वह कहीं भी जा सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं.
प्रचंड बोले–‘ जब गलतियां होती है तो राजशाही समर्थक सिर उठाते हैं.
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ( माओवादी ) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि ऐसे लोगों को इतिहास के कूड़ेदान में इसीलिए फेंक दिया गया था.