रेवंत रेड्डी व एमके स्टालिन को कांग्रेस-आरजेडी ने क्यों बुलाया बिहार

कांग्रेस और आरजेडी दक्षिण भारत के नेताओं को बिहार बुलाकर विपक्षी एकता और सामाजिक न्याय का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं बीजेपी से भाषा और बिहारी गौरव से जोड़कर महागठबंधन का नुकसान करने का प्रयास कर सकती है.

नई दिल्ली/ दरभंगा/ हैदराबाद, 27 अगस्त, 2025. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बिहार में ” वोटर अधिकार यात्रा” निकाल रहे हैं. इस यात्रा के 11 वें दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके की बड़ी नेता कनिमोझी भी दरभंगा से मुजफ्फरपुर तक राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ नजर आए. इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी ‘ वोटर अधिकार यात्रा’ मैं शामिल हो चुके हैं. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और उनकी पार्टी पर जहां हिंदी विरोधी होने के आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं रेवंत रेड्डी पर भी बिहार की जनता के अपमान का आरोप लग चुका है. हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी एक रैली में इसे लेकर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला था. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन स्टालिन और रेवंत रेड्डी जैसे नेताओं को’ वोटर अधिकार यात्रा’ में शामिल किस रणनीति पर काम कर रहे हैं ? सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या बिहार में इंडिया गठबंधन कि यह रणनीति उन्हें फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकती है ?

स्टालिन जैसे नेताओं को बिहार बुलाकर क्या मैसेज देने का मकसद?+ बिहार में दक्षिण भारत के नेताओं को बुलाकर कांग्रेस पार्टी और आरजेडी साफ संदेश देना चाहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है . विभिन्न राज्यों के बड़े नेताओं को बिहार नेता महागठबंधन यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि उसका एजेंडा केवल बिहार तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है. बुधवार को मुजफ्फरपुर में हुई जनसभा को तमिल भाषा में संबोधित करते हुए एमके स्टालिन ने कहा कि अगर बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्रता निष्पक्ष हुए तो ‘ इंडिया’ गठबंधन इनमें जीत दर्ज करेगा. उन्होंने मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने को ” आतंकवाद से भी बदतर ” बताया. उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से पूरा देश बिहार पर उत्सुकता से नजर रखे हुए हैं और चुनाव आयोग रिमोट कंट्रोल वाली कठपुतली बन गया है.

ओबीसी और सामाजिक न्याय के मुद्दे को धार देने की कोशिश

स्टालिन, डीके शिवाकुमार और रेवंत रेड्डी जैसे नेताओं को यात्रा में शामिल कर राहुल गांधी सामाजिक न्याय और वोटर अधिकार की राजनीति को मजबूती देना चाहते हैं. तेलंगाना में ओबीसी आरक्षण और तमिलनाडु में सामाजिक न्याय की राजनीति को बिहार की सियासत से जोड़कर महागठबंधन अपनी विश्वसनीयता बढ़ाना चाहता है. बिहार में कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे पिछडे वर्ग और अल्पसंख्यकों के बीच वो जगह बन सकेगी.

क्या बैकफायर भी कर सकती है रणनीति ?

स्टालिन और रेवंत रेड्डी को बिहार बुलाने को लेकर बीजेपी कांग्रेस और राजद पर हमलावर है. कांग्रेस और राजद जहां इस रणनीति के जरिए विपक्षी एकता और सामाजिक न्याय पर फोकस कर रही है, तो वहीं बीजेपी इसे भाषा और बिहारी गौरव से जोड़कर महागठबंधन का नुकसान करने का प्रयास कर सकती है.

बुधवार को स्टालिन के बिहार पहुंचने से पहले तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अन्नामलाई ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि वह बिहार में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करते समय अपनी यह टिप्पणियां दोहराएं. इसके साथ ही उन्होंने डीएमके नेता के हिंदी विरोधी बयानों का एक संगलन भी जारी किया.